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आंवला नवमी

आज पालन पाठशाला में आंवला नवमी – भारतीय संस्कृति प्रकृति पर्व मनाया गया । गुड़ी पड़वा व हरियाली अमावस्या पर लगाएं गए पेड़ो की पूजा की गई ।सनातन धर्म में प्रकृति उसके द्वारा प्रदत्त उपहारों एवं प्रत्येक ऋतु में आने वाले फल,फूल,सब्जी, भाजी आदि को भी उनके औषधीय एवं लाभकारी गुणों के कारण सदैव ईश्वरीय स्वरूप मान कर पूजा जाता है तथा एक निश्चित तिथि के बाद ही उनके सेवन का प्रारब्ध है। इसी तारतम्य में आज आंवला नवमी का पर्व है। भगवान विष्णु को जगत का पालनहार कहा गया है,वे ही सम्पूर्ण सृष्टि को चलायमान रखते हैं, ऐसे ही वर्षा ऋतु के पश्चात शरद ऋतु में मानव शरीर को स्वस्थ एवं निरोगी रखने वाले औषधीय गुणों के कारण विष्णु स्वरूप में आंवले के वृक्ष की पूजा की जाती हैं एवं उसका सेवन प्रारंभ किया जाता है ।

आज ही की तिथि पर भगवान विष्णु ने कूष्मांड राक्षस का वध किया था, इसलिए आंवला नवमी को कूष्मांड नवमी भी कहते हैं । पद्मपुराण के अनुसार आंवला नवमी के दिन आंवले के पेड़ की पूजा करने से सारे पाप नष्‍ट हो जाते हैं इसलिए इसे अक्षय नवमी कहते हैं | साथ ही भगवान विष्‍णु का वास होने के कारण इस पेड़ की पूजा करने से धन, विवाह, संतान, दांपत्य जीवन से जुड़ी सारी समस्‍याएं भी खत्‍म हो जाती हैं| इसके अलावा आंवले का सेवन करने से व्‍यक्ति सेहतमंद रहता है | आंवला नवमी के दिन आंवले के पेड़ के नीचे बैठकर भोजन करने से और गरीबों को भोजन कराने से जीवन में सुख-समृद्धि आती है | अक्षय नवमी के दिन दक्षिणावर्ती शंख में जल भरकर भगवान विष्णु का अभिषेक करें, इस उपाय को करने से देवी लक्ष्मी अत्यंत प्रसन्न होकर घर में सदा के लिए वास करती है| अक्षय नवमी के दिन अपने स्नान करने के लिए गए पानी में आंवला के रस की कुछ बूंदे डालें| ऐसा करने से घर की नकारात्मक ऊर्जा तो जाएगी ही साथ ही माता लक्ष्मी भी घर में विराजमान होंगी|

 

 

 

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